प्रथम महिला महापौर को विरासत में प्रदूषण, गंदगी और घोटाले
- नगर निगम में अधिकारियों का गठजोड़ तोड़ना होगा चुनौती

दि राइजिंग न्यूज
संजय शुक्ल
लखनऊ।
राजधानी में शुक्रवार को पहली बार महिला महापौर के रूप में भारतीय जनता पार्टी की संयुक्ता भाटिया चुनी गईं। उन्होंने यातायात समस्या और कूड़ा प्रबंधन को अपनी प्राथमिकता भले ही बताया हो लेकिन विरासत में उन्हें प्रदूषण और गंदगी ही मिलने जा रही है। राजधानी में वायु प्रदूषण तकरीबन दिल्ली के बराबर है लेकिन यहां पर नगर निगम प्रशासन पूरी तरह से बेफिक्र है। कूड़ा हर इलाके में ढेर हैं लेकिन लाखों रुपये रोज कूड़ा निस्तारण में खर्च हो रहे हैं। अब इससे नई महापौर कैसे निपटेंगी, यह देखने वाली बात होगी। वैसे पहली महिला महापौर को विरासत के रूप में यही कुछ मिलने जा रहा है।
लखनऊ नगर निगम में घोटालों की भरमार है। चाहे वह कूड़ा निस्तारण करने का मामला हो या फिर प्रचार विभाग द्वारा दिए जाने वाले विज्ञापन पटों के ठेके। अधिकारियों के संरक्षण में फल फूल रहा यह गोलमाल इतना सुनियोजित है कि नगर निगम में इसका कहीं विवरण तक उपलब्ध नहीं है। करोड़ों रुपये खर्च कर खरीदीं गई नगर निगम की कूड़ा उठाने वाली कूड़ा निस्तारण में लगी पुरानी कंपनी ज्योति इन्वायरों के अधीन थी और अब जब ज्योति इन्वायरो का काम समाप्त हो गया है, इन गाड़ियों का अता पता कोई नहीं बता पाता। यही नहीं, ज्योति इन्वायरों को किए गए भुगतान और उससे रिकवरी का प्रकरण भी नगर निगम के तमाम अधिकारी अपनी कुंडली में दबाए हैं। यही हाल विज्ञापन पटों का है। राजधानी में तकरीबन हर इलाके में अवैध होर्डिंग लगीं है। इनमें क्षेत्रीय नेताओं के साथ प्रचार विभाग के कर्मी मोटी कमाई कर रहे हैं लेकिन नगर निगम के पास राजस्व धेला भर भी नहीं पहुंच रहा है। अधिकारियों के काकस में किस तरह से महापौर उबर पाएंगी, यह भी देखने वाली बात है।
महापौर राजधानी में बदहाल ट्रैफिक सुधार को अपनी प्राथमिकता जरूर बताती है लेकिन उनके महकमे के ट्रैफिक इंजीनियर सिगनल को विज्ञापन का जरिया बना चुका है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण चौक का ऐतिहासिक चौराहा है। यहां पर चौराहे पर नौ लाख रुपये खर्च कर ट्रैफिक सिगनल को लगवा दिए गए लेकिन सिगनल सही जगह है या नहीं, इसकी जानकारी खुद विभागीय अधिकारियों को नहीं है। मगर इससे इतर चौराहे पर सिगनल लग जरूर गए हैं। इसके साथ ही सिगनल लगाने वाली कंपनी को प्रचार के लिए स्थान भी मिल गया है।
जनता की कसौटी पर खरा उतरने की चुनौती
भारतीय जनता पार्टी की महापौर संयुक्ता भाटिया के लिए जनता की कसौटी पर खरा उतरना भी बड़ी चुनौती होगा। दरअसल राजधानी के हर इलाके में व्याप्त बिल्डरों व दबंगों के प्रभाव के लोगों के घरों में हवा पानी तक बंद हो गया है। तंग गलियों में ऊंचे –ऊंचे अपार्टमेंट खड़े हो गए है। नगर निगम हमेशा इस तरह से उदासीन ही रहा और सारी जिम्मेदारी लखनऊ विकास प्राधिकरण पर ही थोपता रहा। यहां तक जो संपत्तियां नगर निगम की थीं, वहां पर भी बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण हुए। चारबाग सुभाष मार्केट में हुआ व्यापारी हत्याकांड उसी का परिणाम था। अब इन मामलों में सत्ता परिवर्तन के बाद नगर निगम का क्या रुख होगा, यह भी देखने वाला होगा। यही नहीं, राजधानी के सभी मुख्य क्षेत्रों में फुटपाथ तक बिल्डरों के कब्जे में पहुंच गए हैं। इसका असर सड़कों पर दिख रहा है और अब इससे निपटने की जिम्मेदारी भी नई महापौर की होगी।
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