..भगोड़े सपा नेता माननीय रविदास मेहरोत्रा
- ठाकुरगंज पुलिस ने चस्पा की कुर्की की नोटिस
- 1995 के मामले में कोर्ट ने भगोड़ा घोषित किया

दि राइजिंग न्यूज
लखनऊ।
लगातार जनप्रतिनिधियों की उठापटक के बारे में हम लोग सुनते ही रहते हैं। दशकों पुराने मामले में कोर्ट तक नहीं पहुंच पाए मगर जनता की चौखट पर हाजिरी लगाकर विधानसभा जरूर पहुंच गए। यह मामला इक्का-दुक्का नहीं है। बात चाहे रविदास मेहरोत्रा की हो या फिर गोमती यादव की अथवा गायत्री प्रसाद प्रजापति की इनके जैसे नेता सभी सियासी दलों में हैं। पहले तो सामूहिक दुष्कर्म के मामले में गायत्री प्रसाद प्रजापति को जेल हुई तो अब एक और पूर्व मंत्री रविदास मेहरोत्रा को न्यायालय ने भगोड़ा घोषित कर दिया है। इतना ही नहीं मंगलवार को कैसरबाग स्थित उसके घर पर कुर्की की नोटिस भी चस्पा कर करने की कार्रवाई की गई है। इसके लिए पुलिस ने डुग्गी पिटवाते हुए लोगों को रविदास मेहरोत्रा का नाम पुकार कर उसके भगोड़ा होने की जानकारी दी।
सन 1995 में रविदास मेहरोत्रा पर एक कूड़ा घर गिराने का आरोप लगा था। दरअसल 23 साल पहले बाजारखाला में बने एक कूड़ाघर को गिराने को लेकर 24 दिसंबर 1995 को नगर निगम के कूड़ा निष्कासन प्रभारी नसीम अहमद ने बाजारखाला थाने में एफआइआर दर्ज कराई थी। कई बार उसे न्यायालय ने हाजिर होने का आदेश दिया लेकिन रविदास ने कोर्ट में अपनी हाजिरी लगानी उचित नहीं समझी। अब एसीजेएम सुदेश कुमार ने रविदास को ना केवल भगोड़ा घोषित किया बल्कि उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह को एक पत्र भी जारी किया है। न्यायाधीश सुदेश कुमार ने अपने पत्र में कहा है कि अभियुक्त अत्यंत प्रभावशाली व्यक्ति है। उसके प्रभाव के कारण ही स्थानीय पुलिस उसे गिरफ्तार करने में असफल रही है। इसलिए आरोपी को जल्द से जल्द गिरफ्तार कराते हुए न्यायालय के समक्ष पेश कराना सुनिश्चित करें।
पहले भी घोषित हुआ था भगोड़ा-
इसके पहले 24 दिसबंर 2016 को भी रविदास मेहरोत्रा को भगोड़ा घोषित किया गया था। दरअसल 9 अगस्त 2002 को महानगर स्थित अकबर नगर इलाके में अवैध निर्माण हटाने के लिए जारी विभागीय नोटिस के विरोध में सड़क जाम कर दिया था। जिससे आम लोगों को जाम सहित कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। बाद में महानगर थाने में थाना प्रभारी ओमवीर सिंह ने रविदास सहित कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।
कई बार के आदेश के बाद भी जब वह हाजिर नहीं हुआ तो न्यायिक मजिस्ट्रेट ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने उन्हें भगोड़ा घोषित किया था। इस मामले में एक पूर्व विधायक भी आरोपी थे, जिनका देहांत हो चुका है। हालांकि दो अगस्त, 2014 को अपराध स्वीकार करने पर अदालत ने उन्हें दो सौ रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई थी। इसी तरह 24 जनवरी, 2016 को पांच अन्य आरोपियों ने भी अपना अपराध मान लिया था। न्यायालय ने इन सभी पर 100-100 रुपये का अर्थदंड लगाया था।
“यह मामला 1995 का है। बीते काफी समय से रविदास मेहरोत्रा की तलाश की जा रही थी कई बार समन भी गया लेकिन वह न्यायालय के समक्ष हाजिर नहीं हो रहे थे। इसी पर अदालत के आदेशानुसार उनके घर पर कुर्की की नोटिस चस्पा की गई है। साथ ही डुग्गी पिटवाकर उनके फरार होने की घोषणा भी कराई गई। न्यायालय में इस मामले पर बुधवार को तारीख है। पुलिस अपनी रिपोर्ट सौंपेंगी जैसा न्यायालय से आदेश मिलेगा उसी के अनुसार कार्रवाई होगी।”
सुजीत दुबे
बाजारखाला इंस्पेक्टर
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