यह कौन सी मर्यादा, ये कैसे पुरुषोत्तम
- सियासी लाभ में तार –तार हो रही है मर्यादाएं
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दि राइजिंग न्यूज
संजय शुक्ल
लखनऊ।
“एक तरफ राहुल गांधी मंदिर मंदिर घूम रहे हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस राम मंदिर का सुप्रीम कोर्ट में विरोध कर रही है। इससे तो यही लगता है कि राहुल गांधी बाबर या खिलजी के वंशज हैं।”
साक्षी महराज भाजपा सांसद
“भाजपा केवल राम के नाम पर लोग को ठग रही है। भाजपा नेताओं का दिमाग खराब हो चुका है। उन्हें इलाज के लिए पागलखाने भेज दिया जाना चाहिए। वह जल्दी ठीक हो जाएं यह मेरी शुभकामनाएं हैं।”
प्रियंका चतुर्वेदी, प्रवक्ता कांग्रेस
जी हां, ये तमाम बयान मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की जन्मस्थली को लेकर चल रहे विवाद के दौरान सुनने को मिलें। हद तो तब हो गई जब शुक्रवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री को ही नीच बता दिया। सवाल यह है कि इस तरह की मानसिकता के जरिए हम जताना क्या चाह रहे हैं। सामाजिक जीवन में प्रेम, प्रजापालक और आचरण में पवित्रता के लिए भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया लेकिन आज उन्हीं के नाम पर मर्यादा तार तार हो रही है। पद की गरिमा रह गई है न वाणी की शुद्धता। केवल तंज कसे जा रहे हैं और उन शब्दों का इस्तेमाल एकदूसरे के लिए हो रहा है, जो शायद कम ही सुनने को मिलते हैं। दरअसल अयोध्या में राम मंदिर प्रकरण को लेकर भाजपा पूरी तरह से मुखर हो गई है। गुरुवार छह दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं सुन्नी पर्सनल ला बोर्ड की तरफ से पैरवी कर रहे अधिवक्ता कपिल सिब्बल द्वारा वर्ष 2019 तक राम मंदिर प्रकरण की सुनवाई स्थगित करने की दलील के बाद कांग्रेस बैकफुट पर पहुंच गई। सिब्बल के इस दलील को लेकर भाजपा मुखर हुई तो भाजपा बिगड़ना भी लाजिमी था। न्यायालय में एक अधिवक्ता की दलील को लेकर निशाने पर कांग्रेस आ गई। राहुल गांधी भाजपा व हिंदूवादी नेताओं के निशाने पर आ गए। कांग्रेस के आचरण को लेकर तमाम दलीलें और बयान आने लगें।
संवैधानिक गरिमा भी दरकिनार
हमारे में संविधान में प्रधानमंत्री के लिए एक अलग स्थान होता है लेकिन भाजपा के हमलों से तमतमाई कांग्रेस ने प्रधानमंत्री के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जिन्हें किसी मायने में सही नहीं ठहराया जा सकता है। भले ही अगले दिन कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने अपनी टिप्पणी के लिए माफी भी मांग ली लेकिन भाजपा के किसी नेता ने अपने किसी बयान के लिए ऐसा कुछ नहीं किया। खास बात यह है कि अयोध्या में कारसेवा से लेकर मंदिर निर्माण तक अहम किरदार अदा करने वाली और आंदोलन को परवान चढ़ाने वाली विश्व हिंदू परिषद वर्तमान में पूरे परिदृश्य से गायब है। केवल भाजपा इस पूरे मुद्दे को पुरजोर तरीके से हथियाने में जुटी है। इसके तमाम राजनैतिक लाभ भी भाजपा को नजर आ रहे हैं।
गुजरात वाया यूपी
आपको जरूर याद होगा कि लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्ववर्ती उत्तर प्रदेश सरकार तथा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को गुजरात की नसीहत देते थे। यूपी में गुजरात में की तर्ज पर विकास की सलाह देते थे। मगर राजनैतिक मजबूरी देखिए कि तीन साल में ही यूपी गुजरात को राजनीति का सबक सिखा रहा है। यहां तक कि निकाय चुनाव में जीते भाजपाई मेयर भी गुजरात में भाजपा की उपलब्धियों का ढिंढोरा पीट रहे हैं। मकसद केवल चुनाव में विजय हासिल करना है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी गुजरात में भाजपा के स्टार प्रचारक बने हुए हैं। हिंदूवादी नेता की छवि होने के कारण भाजपा गुजरात में इसका पूरा फायदा उठाने की भरसक कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए राम मंदिर के मुद्दे को गुजरात में बढ़ चढ़ कर प्रचारित किया जा रहा है।
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