तो इसीलिए इसको कहा जाता है “पटियाला पैग”
Follow |

दि राइजिंग न्यूज़
आउटपुट डेस्क।
पटियाला पैग के बारे में आपने जरूर सुना होगा लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर इसे पटियाला पैग ही क्यों बोलते हैं। नहीं ना, आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं।
“पटियाला पैग” की पूरी कहानी
“पटियाला पैग” 1920 में पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह की देन है। ब्रिटिश एकादश से हुए क्रिकेट मुकाबले में महाराजा ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे। इस मैच की पार्टी में पटियाला पैग का जन्म हुआ। बहुत कम लोग जानते होंगे कि भारत में महाराजा राजिंदर सिंह के कारण क्रिकेट का खेल शुरू हुआ।
महाराजा राजिंदर सिंह की इस खेल में गहरी रूचि थी। इसलिए वो पटियाला में विश्व के प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ियों को बुलाते थे ताकि लोगों को क्रिकेट में प्रशिक्षण एवं नई तकनीकों से लैस किया जा सके। उनके बाद परंपरा को आगे बढ़ाया, महाराजा भूपिंदर सिंह ने। उन्होंने इंग्लैंड में भारत एकादश की तरफ से वर्ष 1911-12 में अनाधिकारिक टैस्ट मैच खेले। वहां से लौटने के बाद क्रिकेट उनका शौक बन गया। उन्होंने रोड्स, न्यूमैन, रॉबिन्सन जैसे महान खिलाड़ियों को पटियाला में आमंत्रित भी किया।
वर्ष 1920 में अंबाला छावनी में डगलस एकादश के विरूद्ध खेलते हुए महाराजा ने 242 रनों की लंबी पारी खेली। इस पारी में उन्होंने 16 छक्के और 14 चौके लगाए। उस मैदान पर ही दोनों टीमों के लिए लजीज रात्रि-भोज की व्यवस्था की गई थी। कहा जाता है कि अपनी विशाल पारी से महाराजा इतने खुश थे कि उन्होंने स्वयं ही गिलासों में व्हिस्की डाल कर पार्टी की शुरुआत कर दी। गिलास में शराब की मात्रा करीब दुगनी थी। जब कर्नल डगलस को चीयर्स कहने के लिए गिलास दी गई तो उन्होंने उत्सुकतावश महाराजा से उस पैग के बारे में पूछा।
महाराजा हंसते हुए बोले, “आप पटियाला में हैं मेरे मेहमान, टोस्ट के साथ पटियाला पैग से कम कुछ भी नहीं चलेगा।” फिर दोनों ने हंसते हुए शोरगुल के बीच एक ही घूंट में अपना गिलास खाली कर दिया। तब से विभिन्न आयोजनों पर हर शाही मेहमान को पटियाला पैग अनिवार्य रूप से परोसे जाने की परंपरा शुरू हुई।
"जो मित्र दि राइजिंग न्यूज की खबर सीधे अपने फोन पर व्हाट्सएप के जरिए पाना चाहते हैं वो हमारे ऑफिशियल व्हाट्सएप नंबर से जुडें 7080355555
-
सियासी दांव पेंच का अखाड़ा बनता सुप्रीम कोर्ट
-
राइड चैलेंज में बैलेंस बिगड़ा और मौत...22 वर्ष का था छात्र
-
क्यूबा में नए युग की शुरुआत...
-
Nanu ki Jaanu review: हॉरर में कॉमेडी है ये फिल्म
-
107 साल बाद बाहर आया "मिनी टाइटैनिक" का राज
-
बेहद ही डरावना है इस तस्वीर का सच
-
चार साल बाद दफनाया जाएगा ये शव…लंबी है इंतजार की कहानी
-
यहां बर्गर 300 रुपए का है लेकिन पेट्रोल 17 रुपए का...